डिक्री के गुण-दोष पर निष्पादन न्यायालय जाँच नहीं कर सकता है। यह निष्पादन करने वाले न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। निष्पादन न्यायालय को डिक्री उसी भाँति लेना चाहिए जिस प्रकार वह उसके सामने प्रस्तुत की गयी है । तोपनमल बनाम कुण्डोमल गंगाराम [ए० आई० आर० 1954 एस० सी० 340] के वाद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार निष्पादन न्यायालय डिक्री की छानबीन व जाच नहीं कर सकता।
निम्नलिखित परिस्थितियों में कोई भी निष्पादन न्यायालय डिक्री की शुद्धता या वैधता के प्रश्न पर डिक्री की पुनः परीक्षा कर सकता है जहाँ-
(1) डिक्री अस्पष्ट या संदिग्ध है।
(2) डिक्री शुन्य प्रभावी है।
(3) दो परस्पर विरोधी डिक्री दो सक्षम अधिकारिता वाले न्यायालयों द्वारा उसी विषय वस्तु को लेकर पारित की गयी है जो उनके बीच के विवाद को पूर्णरूप से निपटा देती है।
(4) डिक्री एक ऐसे न्यायालय द्वारा पारित की गयी है जिसे डिक्री पारित करने की अधिकारिता प्राप्त नहीं थी ।
Can the executing court inquire into the decree?
The Court of Execution cannot inquire into the merits of the decree. It does not fall within the jurisdiction of the executing court. The Court of execution must receive the decree as it is presented to it. According to the decision of the Supreme Court in the case of Topanmal v. Kundomal Gangaram [AIR 1954 SC 340], the court of execution cannot inquire into the decree.
An executing court may re-examine a decree on the question of its correctness or validity in the following circumstances:
(1) The decree is vague or ambiguous.
(2) The decree is void.
(3) Two conflicting decrees have been passed by two Courts of competent jurisdiction on the same subject matter which completely settles the dispute between them.
(4) The decree has been passed by a Court which had no jurisdiction to pass the decree.
काय निष्पादन न्यायालय डिक्री तपासू शकते?
डिक्की के गुण-दोष परिष्करण न्यायालय तपासू शकत नाही. हे निष्पादन करण्यासाठी न्यायालयाच्या अधिकार क्षेत्रात आता नाही. समान भाँति लेना तयार करा. तोपनमल बनम कुण्डोमल गंगाराम [ए० आर० १९५४ एस० सी० ३४०] के वाद मं सर्वोच्च न्यायालयाच्या निर्णयानुसार निष्पक्ष निर्णय डिक्री की छानबीन व जाच नाही.
खालील परिस्थितीमध्ये कोणतीही निष्पादन न्यायालये डिक्री की शुद्धता या वैधता के प्रश्न पर डिक्री की पुन्हा परीक्षा करू शकते.
(१) डिक्री अस्पष्ट या संदिग्ध आहे.
(२) डिक्री शुन्य प्रभावी आहे.
(३) दोन परस्पर विरोधी डिक्री दोन सक्षम अधिकार न्यायालये समान विषय वस्तु कोनाता की बात करते जो त्यांच्या मध्यभागी पूर्णरूप से निपटा देते
(4) डिक्री एक समान विश्वचोरीद्वारे शोधून काढण्याची अधिकार प्राप्त नाही.